Dr. Saroj Bala
S mt. Saroj Bala belongs to the 1972 batch of the Indian Revenue Service. She was the first lady officer adjudged as the Best all-around probationer by the National Academy of Direct Taxes. Smt. Saroj Bala had distinguished herself as an officer of the Indian Revenue Service. After retiring as a Member of CBDT, she became a Director of the Institute of Scientific Research on Vedas with the objective of undertaking research to scientifically determine the timelines and achievements of Vedic and Epic eras.
The research methodology adopted by her is credible and unique. She extracted all astronomical references sequentially and then generated the corresponding sky views, using planetarium software to determine the astronomical dates. Supporting evidence from archaeology and palaeobotany, geography and geology, oceanography and ecology, remote sensing, and genetic studies, etc. was thereafter correlated with the astronomical date sequence and beautifully woven into the stories. The research was undertaken by her under the inspiration and guidance of Dr. A.P.J. Abdul Kalam.
Her first book entitled “Historicity of Vedic and Ramayan Eras: Scientific Evidence from the Depths of Oceans to the Heights of Skies” was published in 2012. G.J. University of Science & Technology, Hisar conferred the honorary degree of Doctor of Science on her for this research.
Her next book "रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी" was released in October 2018. The Federation of Indian Publishers awarded the first prize for Excellence in Book Production. On 30th November 2019, Shri Yogi Adityanath Ji presented a copy of this book to Prime Minister Shri Narendra Modi Ji as per the press release by PIB - https://pib.gov.in/PhotoCategories.aspx?MenuId=8. For this book, Smt. Saroj Bala was awarded Vivekanand Puraskar by the Ministry of Education through Kendriya Hindi Sansthan.
Thereafter, her book "Ramayan Retold with Scientific Evidence" was released on 5th February 2019; this was discussed in the opening session of Times LitFest on 30th November 2019. The Book became quite popular. Its revised Edition was published in 2022 and Second Edition in 2023.
In March 2021, her book Mahabharat Retold with Scientific Evidence came in public opinion, providing irrebuttable evidence that so-called Harappan sites were actually the Vedic Sites of the Mahabharat Era. This was followed by the release of her book राम कथा सितारों से सुनिए in October 2021. Her next book entitled “महाभारत की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी” was launched on 12th November 2022 in JNU by Dr Subhas sarkar, Minister of Higher Education.
It is widely believed by the readers of her books, the glimpses of which are available on https://www.youtube.com/@RigvedatoRobotics/videos, that based on multi-disciplinary scientific research woven in the stories, Smt. Saroj Bala succeeded in moving Ramayan and Mahabharat from the realm of mythology to the domain of history, and in proving that Vedic Culture has been developing indigenously for > 9000 years. This would surely make every Indian feel proud of our most ancient rich cultural heritage.
लेखिका का परिचय
श्रीमती सरोज बाला भारतीय राजस्व सेवा के 1972 बैच से हैं। वह राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंड प्रोबेशनर के रूप में चयनित की गई पहली महिला अधिकारी थीं। उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा की एक प्रतिष्ठित अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई। सीबीडीटी के सदस्य के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, वह 2009 से 2017 तक वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान की निदेशक रहीं। रामायण तथा महाभारत युगों की ऐतिहासिकता और उपलब्धियों को वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर निर्धारित करना उनका मुख्य उद्देश्य था।
उनके द्वारा अपनाई गई शोध पद्धति अत्यंत विश्वसनीय व अद्वितीय है। वह वेदों, रामायण तथा महाभारत से क्रमिक खगोलीय संदर्भों को निकालती हैं और फिर तारामंडल सॉफ्टवेयरों का उपयोग करते हुए क्रमिक आकाशीय दृश्य दर्शाती हैं, जिन्हें 25920 वर्ष में कभी भी द्वारा नहीं देखा जा सकता।
इस प्रकार सटीक खगोलीय तिथियों का निर्धारण करने के पश्चात वे पुरातत्त्व और पुरावनस्पति, भूगोल और समुद्र विज्ञान, आनुवांशिक अध्ययन और दूर-संवेदी चित्रों से प्राप्त साक्ष्यों का इस खगोलीय तिथि अनुक्रम के साथ सहसंबद्ध भी स्थापित करती हैं। यह अनुसन्धान डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा और मार्गदर्शन में किया गया था।
श्रीमती सरोज बाला की पुस्तक "वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकताः समुद्र की गहराइयों से आकाश की ऊँचाइयों तक के वैज्ञानिक प्रमाण" 2012 में हिंदी तथा अंग्रेजी में प्रकाशित हुईं। गुरु जंभेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार ने इस शोध के लिए उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद डिग्री प्रदान की।
तत्पश्चात, उन्होंने पुस्तक "रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी" लिखी, जिसका विमोचन अक्तूबर 2018 में हुआ। इसे फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स ने पुस्तक उत्पादन में उत्कृष्टता के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया। 30 नवंबर 2019 को श्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को इस पुस्तक की एक प्रति भेंट की (PIB - https://pib.gov.in/PhotoCategories.aspx?MenuId=8) इस पुस्तक के लिए श्रीमती. सरोज बाला को केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के माध्यम से शिक्षा मंत्रालय द्वारा विवेकानन्द पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके अंग्रेजी संस्करण "Ramayan Retold with Scientific Evidence" का प्रकाशन फरवरी 2019 में हुआ। 30 नवंबर 2019 को टाइम्स लिटफेस्ट के उद्घाटन सत्र में इस पर चर्चा की गई। यह पुस्तक काफी लोकप्रिय हुई। इसका संशोधित संस्करण 2022 में और दूसरा संस्करण 2023 में प्रकाशित हुआ।
उनकी अगली पुस्तक "Mahabharat Retold with Scientific Evidence" का विमोचन मार्च 2021 में हुआ। फिर उन्होंने श्री दिनेशचंद्र अग्रवाल के साथ मिलकर एक पुस्तक "राम कथा सितारों से सुनिए" लिखी, जिसका प्रकाशन अक्तूबर 2021 में हुआ। उनकी अगली पुस्तक जिसका शीर्षक "महाभारत की कहानी, विज्ञान की जुबानी" है, 12 नवंबर 2022 को उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष सरकार द्वारा जेएनयू में लॉन्च की गई।
वे रामायण और महाभारत को काल्पनिक कथाओं के दायरे से निकालकर इतिहास के क्षेत्र में ले जाने में सफल रहीं, और यह साबित करने में सफल रहीं कि वैदिक संस्कृति लगभग 9000 वर्षों से स्वदेशी रूप से विकसित हो रही है। इस विषय पर Rigveda to Robotics नामक उनके ब्लॉग तथा यूट्यूब चैनल पर और अधिक दिलचस्प जानकारी उपलब्ध है।