रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी - द्वितीय संस्करण
पुस्तक रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी का विमोचन अक्टूबर 2018 में हुआ। पाठकों ने इसे खूब सराहा तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने पुस्तक की एक प्रति 30 नवम्बर 2019 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भेंट की। PIB ने इस सूचना को चित्रों सहित छापा। लेखिका को भारत सरकार ने 2021 में विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया।
पाठकों ने इसकी सभी प्रतियाँ हाथों हाथ खरीद लीं। पाठकों द्वारा पहले संस्करण को मिले प्यार से उत्साहित होकर, मैंने द्वितीय संस्करण पर काम करना प्रारम्भ कर दिया और कई नए तथा दिलचस्प तथ्यों को शामिल किया, जैसे कि – श्रीलंका के रामायण स्थान। विज़न इंडिया पब्लिकेशंस ने इसका द्वितीय संस्करण 2023 में प्रकाशित किया, जो हर दृष्टि से बेहतरीन है। ऊपर इसका चित्र है।
पुस्तक के विषय में
रामायण भारत का प्राचीनतम व सर्वाधिक सम्मानित महाकाव्य है। महर्षि वाल्मीकि ने इसमें चौबीस हज़ार संस्कृत श्लोकों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवन गाथा का वास्तविक एवं रोचक वर्णन किया है।
इसी विशाल महाकाव्य को इस पुस्तक में संक्षिप्त एवं सरल भाषा में केवल ढाई सौ पृष्ठों में वर्णित किया गया है। अनेकों वैज्ञानिक प्रमाणों को सुन्दर चित्रों सहित जब इस कहानी में बुना गया तो सिद्ध हुआ कि रामायण काल्पनिक ग्रंथ नहीं अपितु इस में तो भारत का प्राचीन इतिहास समाहित है।
तारामंडल सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रामायण के खगोलीय सन्दर्भों के व्योमचित्र लिए गए; इस प्रकार महत्वपूर्ण घटनाओं की सटीक तिथियां निर्धारित की गयीं। पाठक 5114 वर्ष ई.पू. की चैत्र-शुक्ल नवमी को श्रीराम के जन्म के समय पांच ग्रहों को अपने अपने उच्च स्थान में आकाश में चमकते हुए अयोध्या से देख कर आनंदित हो सकते हैं।
इस पुस्तक में चित्रों तथा प्रमाणों सहित पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनित धनुष व बाण, अंगूठी और चूड़ामणि, चावल व तिल, केले और बरगद आदि के वे प्रमाण शामिल हैं, जिनके अनुसार ये लगभग सात हजार वर्ष पहले भारत में उपलब्ध थे। लंका के रामायण स्थलों को भी इस पुस्तक में शामिल किया गया है। रामसेतु के बारे में कुछ विश्वसनीय और कुछ अद्भुत तथ्य भी जानें।
तथ्यों तथा प्रमाणों सहित यह भी समझाया गया है कि हजारों वर्षों बाद भी करोड़ों लोग श्रीराम को भगवान मानकर उनकी सराहना व आराधना क्यों करते हैं। क्या उन्होंने वास्तव में एक ऐसे आदर्श कल्याणकारी राज्य की स्थापना की थी जो आज तक अतुलनीय है।
श्रीराम एक आदर्श समाज सुधारक भी थे जिन्होंने चारों वर्णों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया। उन्होने जातिगत भेदभाव के विरुद्ध सख्त संदेश देते हुए ब्राह्मण कुल के पापी रावण का वध कर दिया, कोल जनजाति के गुह निषाद को अपना प्रिय मित्र बनाया, तथा भीलनी की कुटिया में पंहुच कर उसका सत्कार किया।
Ramayan Ki Kahani Vigyan Ki Zubani (Second Edition) -
Saroj Bala has traced journey of Shri Ram from Nar to Narayan
SUBSCRIBE
'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी' - प्रथम संस्करण
अनूठे वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित इस दिलचस्प किताब का विमोचन 15 अक्टूबर, 2018 को माननीय श्री कृष्ण गोपाल जी व श्री महेश शर्मा जी के कर कमलों से हुआ।
इस पुस्तक में दिन, तिथि, स्थान के साथ श्री राम के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को अत्यंत दिलचस्प तथा विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह भी जाने कि वो नर से नारायण कैसे बने।
कुछ गण्य-मान्य महान हस्तियों ने इस पुस्तक को पढ़ने के पश्चात ऐसे विचार प्रस्तुत किये कि लेखिका की प्रसन्नता तथा प्रोत्साहन दोनों में वृद्धि हुई –
प्रख्यात नृत्यांगना पद्म विभूषण सोनल मानसिंह ने कहा, “महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित श्रीराम की जीवन गाथा में महत्वपूर्ण घटनाओं के समय देखे गए आकाशीय दृश्यों और अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों तथा उनके चित्रों को इतने यथार्थवादी ढंग से बुन दिया गया है कि पाठक को लगता है कि वो रामायण युग में घटित इस घटनाक्रम का हिस्सा बन गया है”
माननीय विनय सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, आईसीसीआर ने समीक्षा करते हुए कहा, “रामायण की कहानी में वैज्ञानिक साक्ष्यों को कुशलतापूर्वक रच-बुन कर लिखी यह पुस्तक आधुनिक युवा पीढ़ियों को अवश्य पढ़नी चाहिए ताकि वे अपनी असली ऐतिहासिक विरासत में सामूहिक गौरव का अनुभव कर सकें। इस पुस्तक में दुनिया के उन 30 से अधिक देशों के लोगों के लिए अमूल्य जानकारियां हैं, जिनमें रामायण अत्यंत लोकप्रिय है”
श्री बी आर मणि, महानिदेशक, राष्ट्रीय संग्रहालय के अनुसार, “पुस्तक ने प्रमाणित किया है कि पुरातात्विक नमूनों की कार्बन तिथियों का साहित्यिक, खगोलीय, समुद्र विज्ञान, पुरावनस्पतिक व अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों से सहसम्बन्ध स्थापित करने से उनकी विश्वसनीयता और प्रामाणिकता बहुत बढ़ जाती है और वो दूरस्थ अतीत में हुई घटनाओं को पौराणिक कथाओं के क्षेत्र से ऐतिहासिक घटनाओं में परिवर्तित करने में सक्षम हो जाती हैं”
सरोज बाला द्वारा विमोचन के समय पुस्तक ‘रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी’ का परिचय - अक्तूबर 2018
शोध के बारे में कुछ और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं
https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics/videos
15 अक्तूबर 2018 को ‘रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी’ पुस्तक का विमोचन माननीय श्री कृष्ण गोपाल जी तथा श्री महेश शर्मा जी ने किया। विमोचन के समय श्रीमती सरोज बाला ने बताया कि इसमें श्रीराम की जीवनगाथा तिथि, स्थान तथा संदर्भों के साथ दी गई है। इसे पढ़कर विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों से छनकर निकले रामायण रूपी अमृत का आनंद सभी दर्शक तथा पाठक भी उठा सकते हैं।
- रामायण की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के समय महर्षि वाल्मीकि द्वारा देखे गए आकाशीय दृश्यों को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर के माध्यम से आप भी देखें। आप देख सकते हैं कि श्री राम के जन्म के समय आकाश कैसा सुन्दर दिखायी दे रहा था और जब लंका में रावण सीता जी को धमका रहा था तो लंका के आकाश में ग्रहण से ग्रसित चंद्रमा दिखायी दिया।
- निर्धारित खगोलीय तिथियों को सत्य सिद्ध करते हैं कई रोचक वैज्ञानिक प्रमाण, जिन्हें चित्रों सहित दिया गया है। नए वैज्ञानिक उपकरणों तथा साक्ष्यों का उपयोग कर पुस्तक ने श्री राम को मिथ्या बतानेवालों को असत्य सिद्ध कर रामायण में वर्णित घटनाओं की वास्तविकता एवं ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला है।
- श्रीराम के जीवन में घटी मुख्य घटनाओं के समय देखे गए क्रमिक व्योम चित्रों को देखने के साथ साथ देखें रामायण में वर्णित ताँबे के वाणाग्र, सोने व चाँदी के आभूषण, पत्थरों व मोतियों के गहने, टैराकोटाके बरतन तथा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों के चित्र, जिनकी कार्बन डेटिंग इन्हें सात हजार वर्ष पुराने बताती है।
- श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था और उन्होंने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श समाज-सुधारक तथा एक आदर्श शासक के रूप में अतुलनीय उदाहरण पेश किए; तभी तो वह नर से नारायण बन गए। पढ़ें अनेक तथ्य व प्रमाण।
डॉ कृष्ण गोपाल लोकप्रिय पुस्तक ‘रामायण की कहानी विज्ञान की जुबानी’ का विमोचन करते हुए - अक्तूबर 2018
शोध के बारे में कुछ और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं
https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics/videos
- 15 अक्तूबर 2018 को इस पुस्तक का विमोचन करते हुए सुप्रसिद्ध विद्वान श्री कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि श्री राम भारतीयों के रोम रोम में बसे हैं। उनका अस्तित्व सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थी। परंतु देश में ऐसा वातावरण बना दिया गया कि उनके जीवन चरित्र को वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ सिद्ध करने की आवश्यकता पड़ गई। तत्पश्चात उन्होंने श्रीमती सरोज बाला द्वारा इस पुस्तक के माध्यम से किए गए इस प्रयत्न की सराहना की। इस पुस्तक में श्रीराम की जीवनगाथा तिथि, स्थान तथा संदर्भों के साथ दी गई है। रामायण की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के समय महर्षि वाल्मीकि द्वारा देखे गए आकाशीय दृश्यों को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर के माध्यम से इस पुस्तक में बहुत अच्छे ढंग से दिखाया गया है और घटनाओं का सटीक तिथि निर्धारण किया गया है।
- निर्धारित खगोलीय तिथियों को सत्य सिद्ध करते हुए कई अन्य रोचक वैज्ञानिक प्रमाणो को भी चित्रों सहित दिया गया है। नए वैज्ञानिक उपकरणों तथा साक्ष्यों का उपयोग कर पुस्तक ने श्री राम को मिथ्या बतानेवालों को असत्य सिद्ध कर रामायण में वर्णित घटनाओं की वास्तविकता एवं ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला है। श्रीराम के जीवन में घटी मुख्य घटनाओं के समय देखे गए क्रमिक व्योम चित्रों को देखने के साथ साथ देखें रामायण में वर्णित ताँबे के वाणाग्र, सोने व चाँदी के आभूषण, पत्थरों व मोतियों के गहने, टैराकोटा के बरतन तथा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों के चित्र, जिनकी कार्बन डेटिंग इन्हें सात हजार वर्ष पुराने बताती है।
भारत के संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा पुस्तक के विमोचन अवसर पर पुस्तक तथा उसकी लेखिका की सराहना करते हुए, अक्तूबर 2018
शोध के बारे में कुछ और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं
https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics/videos
- 15 अक्टूबर 2018 को 'रामायण की कहानी विज्ञान की ज़ुबानी' पुस्तक का विमोचन करते हुए भारत के संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि श्रीमती सरोज बाला ने रामायण और महाभारत काल की ऐतिहासिकता को साबित करके भारतवासियों के आत्मसम्मान को बढ़ाया है।
- शोध के आधार पर निकाला यह निष्कर्ष कि ये दोनों महाकाव्य कवियों की कल्पना का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि इनमें भारत का वास्तविक प्राचीन इतिहास शामिल है, हमें अपनी भव्य प्राचीन विरासत पर गर्व महसूस कराता है। 'रामायण की कहानी, विज्ञान की ज़ुबानी' पुस्तक अत्यंत विश्वसनीय और रोचक ढंग से रामायण की ऐतिहासिकता को सिद्ध करती है। आप देख सकते हैं कि श्री राम के जन्म के समय आकाश कैसा दिखता था और उन मंदिरों के अवशेष भी देख सकते हैं, जो बाबरी मस्जिद ढांचे के नीचे से खोदे गए थे।
- यह पुस्तक भगवान राम के आलोचकों की उन ग़लतफ़हमियों को भी दूर करती है, जिनके अनुसार उन्होंने अपनी पत्नी सीता को अनुचित ढंग से निर्वासित किया था। उन्होंने अपनी संतान को लोक-अपवाद से बचाने के लिए तथा सीता की कार्यकुशलता पर विश्वास करते हुए उन्हें वाल्मीकि आश्रम भेजा था। उन्होंने राज-धर्म को पत्निधर्म से अधिक प्राथमिकता दी थी। वह अपने पूरे जीवन काल में हमेशा एक समर्पित पति बने रहे और कभी किसी अन्य स्त्री से सम्बन्ध नहीं बनाया ।
- यह पुस्तक इतिहास के पुनर्निर्माण की एक नई वैज्ञानिक पद्धति की शुरुआत करती है। यह विज्ञान के सभी छात्रों और भारत की सच्ची प्राचीन विरासत के बारे में जानने में रुचि रखने वाले सभी लोगों को पढ़नी चाहिए। पाठकों में भारत की प्राचीन विरासत के प्रति साझा एवं वास्तविक गौरव विकसित होगा।
प्रोफेशनल तरीके से बनाई गई दिलचस्प डॉक्यूमेंट्री, 'रामायण की कहानी विज्ञान की ज़ुबानी' – आपका बार-बार देखने का मन करेगा
शोध के बारे में कुछ और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं
https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics/videos
- इस डाक्यूमेंट्री के माध्यम से विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों से छनकर निकले रामायण रूपी अमृत का आनंद आप भी उठायें। इस में रामायण की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के समय महर्षि वाल्मीकि द्वारा देखे गए आकाशीय दृश्यों को प्लैनेटेरियम तथा स्टेलेरियम सॉफ्टवेयरों के माध्यम से आप भी देखें। श्री राम के जीवन में घटी मुख्य घटनाओं की सटीक तिथियों को देखें क्रमिक व्योम-चित्रों के साथ, जो पिछले 25920 वर्षों में कभी भी किसी और दिन दिखायी नहीं दिए।
- राम के जन्म के समय की ग्रह-नक्षत्रों की स्थितियाँ देखें 5114 ईसा पूर्व की चैत्र शुक्ल नवमी वाले दिन और वो भी दोपहर के समय। देखें पुरातत्त्व विभाग द्वारा उत्खनित नमूने व कलाकृतियाँ के वर्णन उनके चित्रों सहित। इनमें शामिल हैं तांबे के वाणाग्र, सोने चांदी के आभूषण, पत्थरों व मोतियों के गहने, टेराकोट्टा के बर्तन, पेड़-पौधे तथा जड़ी-बूटियाँ आदि। इनका कार्बन तिथिकरण इन्हें लगभग छः सात हजार वर्ष पुराना बताता है।
- नए वैज्ञानिक साक्ष्यों तथा उपकरणों का उपयोग कर इस वृतचित्र ने रामायण को काल्पनिक बताने वालों को असत्य सिद्ध कर रामायण में वर्णित घटनाओं की वास्तविकता को प्रमाणित करते हुए रामायण युग की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला है। श्री राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था और उन्होंने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श पति, एक आदर्श भाई, एक आदर्श मित्र, एक आदर्श समाज सुधारक होने के साथ साथ एक आदर्श शासक का ऐसा उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया जो आजतक अतुलनीय है। भारत सरकार ने 2021 में लेखिका को रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी पुस्तक की रचना के लिए विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया।
रामायण में वर्णित अनेकों संस्कार तथा प्रथायें आज तक चले आ रहे हैं। हम 10000 वर्षों से भारत वर्ष में ही वैदिक सभ्यता का विकास करते आ रहे हैं। न कोई हड़प्पा सभ्यता थी और न ही होगी; हड़प्पा तो 2500 में से पहला उत्खनित स्थल था ।
शोध के बारे में कुछ और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यूट्यूब चैनल पर जाएं
https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics/videos
- हम वर्तमान में भी सूर्य, चंद्रमा, नदियों तथा वायु देवता आदि के रूप में प्रकृति की शक्तियों की पूजा-अर्चना करते है। वैदिक जीवन पद्धति ग्रामीण भारत के रोम रोम में बसी हुई है। चार वर्ण जहाँ समाज के क्रियात्मक विभाजन को प्रस्तुत करते है वही चार आश्रम बचपन से बुढ़ापे तक जीवन को संचालित करते हैं।
- हम अभी भी यज्ञ, हवन, श्राद्ध, नवरात्र आदि जैसे वैदिक अनुष्ठानों में आस्था रखते हैं। श्रुति-स्मृति परंपरा वर्तमान गुरुकुलों में आज भी शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। शिवलिंग, स्वास्तिक तथा ॐ जैसे वैदिक प्रतीकों को आज भी पवित्र माना जाता है। वैदिक काल से वर्तमान काल तक भारतीय हाथ जोड़कर ही नमस्कार करते है। विडियो में देखें अनेकों अन्य उदाहरण ।
- जीवन के विभिन्न चरणों में शुद्धि हेतु मनाये जाने वाले सोलह संस्कार कुछ परिवर्तनों के साथ अभी भी सामाजिक परम्पराओं का अभिन्न अंग हैं; गर्भाधान, नामकरण, उपनयन, विवाह तथा अंत्येष्टि इत्यादि संस्कार आज भी समाज में प्रचलित है।
- रामायण में श्री राम के उपनयन संस्कार, चारों भाइयों के विवाह संस्कार तथा राजा दशरथ के अंत्येष्टि संस्कार का वर्णन है। आज भी विवाह के समय दूल्हे तथा दुल्हन की वंशावली पढ़ी जाती है।
- इसीलिए तो आदरणीय डॉ कलाम जी के सुझाव पर पुस्तक में श्री राम के 63 पूर्वजों का नाम दिया गया, जिससे यह भी सिद्ध हुआ कि भारत की सभ्यता का पिछले 9000 वर्ष से अविरल प्रवाह चल रहा है। आनुवांशिक अध्ययनों ने भी इसकी संपुष्टी की है।
- विवाह संस्कार से पहले गुरु वसिष्ठ ने प्रतिष्ठित सूर्यवंशी शासकों की वंशावली बताते हुए इक्ष्वाकु कुल की महिमा तथा राम के पूर्वजों का वर्णन ऐसे किया ।
राजा जनक ने भी राजा निमि से लेकर अपनी वंशावली का वर्णन किया और उन्होंने सुकेतु, देवरात, सुधृति, धृष्टिकेतु, हर्यश्व, स्वर्णरोमा और ह्रस्वरोमो समेत अपने तीस से भी अधिक प्रतिष्ठित पूर्वजों का गुणगान किया। रामायण के समय से ही, लगभग 7000 वर्षों से भी अधिक समय पहले से भारत में विवाह आदि अनुष्ठान का आरंभ करने से पहले पूर्वजों के नामों का स्मरण और वर्णन करने की परंपरा आजतक उसी तरह चली आ रही है।
समर्पित हैं ये पुस्तकें सच्चे भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी को
वाल्मीकि रामायण में वर्णित घटनाओं को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ रच-बुन कर प्रस्तुत करने की प्रेरणा मुझे सीधे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी से मिली। इसीलिए मैंने इस असाधारण वैज्ञानिक, सच्चे देशभक्त तथा महामानव को अपनी पुस्तक, 'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी’ का प्रथम संस्करण समर्पित किया था! मुझे याद है कि वह जलमग्न रामसेतु को निकट से देखने के लिए कितने उत्सुक थे! उन्होंने पूर्ण रूप से यह स्वीकार भी किया था कि रामायण भारत के गौरवशाली अतीत का इतिहास होने के साथ साथ इसकी समृद्ध परंपराओं का प्रतिनिधित्व भी करती है, जिसमें सभी भारतीयों को सामूहिक गर्व का अनुभव करना चाहिए।
पाठकों द्वारा पहले संस्करण को मिले प्यार से उत्साहित होकर, मैंने इसके द्वितीय संस्करण को प्रकाशित करने का निर्णय किया। मेरा मन तथा मस्तिष्क इस महापुरुष द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को मेरे मानस पटल पर निरंतर दिखा रहे हैं। श्री कलाम जी का कहना था कि रामायण में वर्णित घटनाओं का सटीक तिथि-निर्धारण करने के लिए रामायण में दिए ग्रहों-नक्षत्रों के संदर्भों का खगोलीय तिथिकरण करने के साथ साथ, पुरातात्त्विक व समुद्र-वैज्ञानिक, आनुवंशिक और दूर-संवेदी प्रमाणों का सहसंबंध स्थापित करना भी आवश्यक है। उनके मार्गदर्शन पर चलने का प्रयत्न करते हुए, मैंने कई नए तथ्य तथा प्रमाण इस द्वितीय संस्करण में शामिल किए हैं। इसीलिए इस पुस्तक को भी उन्हीं के चरणों में आदर सहित समर्पित करती हूं। इस सर्व-वंदित पूज्य आत्मा को यह मेरी श्रद्धांजलि है ।
(डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी ने 30 जुलाई 2011 वाले दिन सुबह 11 बजे हमारे सेमिनार को संबोधित करते हुए वाल्मीकि रामायण में वर्णित तथ्यों तथा घटनाओं के सटीक तिथि निर्धारण के वैज्ञानिक ढंगों पर प्रकाश डाला। 27 जुलाई 2015 को उनके देह अवसान के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को 30 जुलाई 2015 को सुबह ठीक 11 बजे रामेश्वरम में खाकसार होते देखकर मैं गहरे शोक में डूब गई। मैंने परम पिता परमात्मा से प्रार्थना की कि ऐसी महानात्मा को फिर से भारत का महान सपूत बनाकर भेजना।)
STAY IN TOUCH –
YouTube Channel: https://www.youtube.com/c/RigvedatoRobotics
Blog: https://sarojbala.blogspot.com/
Website: http://www.sarojbala.com / Rigveda to Robotics
Facebook: https://www.facebook.com/sarojbala.irs
Author Email: sarojbala044@gmail.com
Publisher Email: visionindiapublications2022@gmail.com
Ramayan Ki Kahani Vigyan Ki Zubani (Second Edition) -
Saroj Bala has traced journey of Shri Ram from Nar to Narayan
For placing bulk purchase orders Email: visionindiapublications2022@gmail.com